बांयी पार्श्व मुद्रा
“एसओएस” (करवट लेकर सोना) गर्भावस्था के दौरान नींद की सबसे बेहतरीन नींद मुद्राएँ है। उनमें भी सबसे बढ़िया है, बांयी पार्श्व मुद्रा। बांये करवट सोने से आपके बच्चे और प्लेसेंटा तक पहुँचने वाले खून और पोषक तत्वों की मात्रा में इजाफा होता है। इस मुद्रा में अपने पैरों और घुटनों को मोड़ कर उनके बीच एक तकिया रखना भी फायदेमंद है।गर्भवती महिलाएं बांये ओर मुँह करके क्यों सोएं?
आमतौर पर, डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान विशेष रूप से गर्भावस्था के अंतिम चरणों में बांयी पार्श्व मुद्रा में सोने की सलाह देते है क्यूंकि इस स्थिति में गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है और इस के कारन पेट के अंतर्निहित मुख्य रक्त वाहिकाओं पे दबाव बढ़ जाता है। ये भ्रूण परिसंचरण में रक्त के बहाव को भी कम कर देता है। भ्रूणीय संचरण में कमी के कारण गर्भ को पोषक तत्वों और भ्रूण तक पहुंचने वाले ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी आ सकती है, जिससे हाइपोक्सिया आदि समस्यांए हो सकती है। कई अध्ययनों से यह भी पता चला है कि इस तरह सोने से स्टिलबिर्थ (मृतजन्म) होने की संभावना में भी कमी आती है। इसलिए आपको अपनी गर्भावस्था के आखिरी सप्ताहों के दौरान बायीं करवट में ही सोना उचित है। गर्भवती महिलाओं के बाईं करवट सोने से भ्रूण में आने वाले पोषक तत्वों और रक्त प्रवाह में वृद्धि होती है। माताओं के गुर्दे भी कुशलता से काम करते हैं और शरीर में मौजूद दवाओं और तरल पदार्थ निष्कासित करते हैं। इस स्थिति में सोने से माताओं के पैर और हाथ के सूजन में भी कमी आती है। अथवा रक्त वाहिकाओं पर दबाव के कारण मातृत्व जटिलताओं जैसे पेडल एडिमा, रक्तचाप इत्यादि बढ़ सकतें हैं।स्वास्थ्य-लाभ स्थिति में बांयी पार्श्व मुद्रा ही क्यों?
दाँयी की अपेक्षा बाँई पार्श्व मुद्रा के द्वारा पेट में अधिक भार या दबाव (जैसेकि गर्भावस्था में) वाले रोगियों की इन्फीरियर वेनाकेवा (मुख्य वाहिका जो शरीर के निचले हिस्सों से ह्रदय को रक्त का प्रवाह करती है) पर दबाव कम होता है, जिससे ह्रदय को रक्त के प्रवाह में तेजी आती है। इन्फीरियर वेनाकेवा पर दबाव रक्त प्रवाह को घटाता है जिसके कारण रक्त संचार में कमी आ जाती है और जिससे शरीर शॉक की स्थिति में भी जा सकता है।ध्यान रहे कि महिलाएं सोते समय करवट बदल सकती हैं, थोड़े समय के लिए मुद्रा बदलने से रक्त प्रवाह में अधिक परिवर्तन नहीं आएगा।
Read in English