साइटिका किसी भी तरह का दर्द जो साईटिक नस के दबाव या उत्तेजना से उत्पन्न हुआ हो उसे कहते हैं, दर्द खास रूप में कमर में अनुभव होता है और वहां से लेकर जांघ के पिछले हिस्से में होता हुआ घुटने के नीचे उतर जाता है।.
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साइटिका: लक्षण और कारण
साइटिका लक्षण – पीठ दर्द, आपके पैरों और पंजे में सुन्नपन और झुनझुनी। मांसपेशी में कमजोरी। संवेदी प्रतिक्रिया की हानि।. साइटिका कारण – खिसकी या निकली हुई डिस्क, स्पाइनल स्टेनोसिस, स्पोंडिलोलिस्थेसिस, पिरिफोर्मिस सिंड्रोम, दर्द के उत्प्रेरक।.
लूम्बेगो (कमर दर्द): रोकथाम और जटिलताएं
लूम्बेगो (कमर दर्द) – रोकथाम – कमर को स्वस्थ व मजबूत रखने के लिए व्यायाम करें। अपनी कमर को बचाने के लिए चीजों को सही और सुरक्षित रूप से उठाना सीखें। बैठते समय अपनी कमर की सुरक्षा रखें। सोने की अलग-अलग मुद्राएँ अपनाएँ।.
लूम्बेगो (कमर दर्द): लक्षण और कारण
लूम्बेगो (कमर दर्द) – लक्षण – दर्द, माँसपेशियों में तनाव और कमर में जकड़न। दर्द का एक अथवा दोनों पैरों में उतरना।. लूम्बेगो (कमर दर्द) – कारण – लूम्बेगो, कमर के जोड़ों की भीतरी टूट-फूट या अत्यधिक कार्य करने या जोड़ों का अत्यधिक उपयोग करने से, जोड़ों की सतह पर आई विकृति के परिणामस्वरूप होता हुआ पाया जाता है।.
लूम्बेगो (कमर दर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
लूम्बेगो (कमर दर्द) – आहार – लेने योग्य आहार आप अपने शरीर को स्वास्थ्यवर्धक आहार लेकर उचित आकार में रख सकते हैं जैसे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज आदि। ऐसे आहार चुनें जिनमें संतृप्त वसा और शक्कर का स्तर कम हो। पानी अधिक मात्रा में पियें।: कमर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में विटामिन डी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। विटामिन डी, “सनशाइन” विटामिन की कमी, कमर के दर्द में योगदान दे सकती है। सूर्य के प्रकाश द्वारा और मछली, दूध, अंडे, दलिया द्वारा विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लें।
, विटामिन सी, जिसे एस्कोर्बिक एसिड भी कहते हैं, ऐसा विटामिन है जो कमर दर्द में सहायता करता है। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ब्रोकोली, फूलगोभी, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, पपीता, स्ट्रॉबेरी आदि सभी विटामिन सी से भरपूर होते हैं।
, विटामिन बी1, बी6, और बी12 आपके कमर दर्द को काफी कम कर सकते हैं। पालक, गाजर, फलियाँ और साबुत अनाजों में ये विटामिन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
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लूम्बेगो (कमर दर्द): प्रमुख जानकारी और निदान
लूम्बेगो कमर में या लम्बर क्षेत्र में होने वाले मध्यम से तीव्र दर्द या पीड़ा को कहते हैं।.
गुर्दे की पथरी: रोकथाम और जटिलताएं
गुर्दे की पथरी – रोकथाम – 8 से 10 गिलास पानी पियें, पशुजन्य प्रोटीन, अधिक नमक का सेवन और पथरीकारक आहार ना लें। डॉक्टर से गुर्दे की पथरी के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करें।.
गुर्दे की पथरी: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
गुर्दे की पथरी – आहार – लेने योग्य आहार: तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें विशेषकर पानी।
, नीबू का शरबत
, रेशे से समृद्ध आहार
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गुर्दे की पथरी: लक्षण और कारण
गुर्दे की पथरी – लक्षण – पीठ, पेट और जांघ में तीव्र दर्द। दर्द्युक्त मूत्रत्याग। मूत्र में रक्त होना। मतली और उल्टी। दुर्गन्ध और झाग युक्त मूत्र।. गुर्दे की पथरी – कारण – मूत्र में लवण (नमक अथवा साल्ट) और खनिजों के सामान्य संतुलन में बदलाव। शऱीर में पानी की कमी, दवाएँ और रोग, अनुवांशिकता.
गुर्दे की पथरी: प्रमुख जानकारी और निदान
मूत्र में कई अपशिष्ट रसायन घुले होते हैं। ये रसायन कभी-कभी मूत्र में बारीक कण बना लेते हैं जो आपस में इकठ्ठा होकर छोटे पत्थरनुमा रचना में बदल जाते हैं।.