अधिकतर महिलाओं में मीनोपॉज लगभग 50 वर्ष की आयु के आस-पास होता है। मीनोपॉज के दौरान दोनों ओवरी (डिम्बग्रंथियाँ) का क्षय हो जाता है, और इनसे प्राप्त होने वाले एस्ट्रोजन का स्तर घट जाता है। एस्ट्रोजन की कम मात्रा से बाहरी जननांग सूख जाते हैं, योनिमार्ग की बाहरी त्वचा की चर्बी घट जाती है, योनि की परत पतली हो जाती
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मिलियम सिस्ट (छोटी थैलीनुमा रचना) छोटी, मोती समान सफ़ेद या पीलापन लिए उभार (यदि समूह में हों तो मिलिया) होते हैं जो विशेष रूप से नाक और गालों पर दिखाई पड़ते हैं।.
मिलिया लक्षण – गालों, नाक और ठोड़ी के आस-पास की त्वचा पर सफ़ेद, मोती समान उभार। मसूढ़ों या मुँह के ऊपरी हिस्से पर सफ़ेद, मोती समान उभार (ये मसूढ़ों से निकलते दांतों की तरह दिखाई पड़ते हैं)।. मिलिया कारण – त्वचा की स्थितियाँ जो फफोले उत्पन्न करती हैं। लम्बे समय तक स्टेरॉयड क्रीम का प्रयोग। लम्बे समय तक सूर्य के प्रकाश से क्षति होना।.
मिलिया आहार – सब्जियाँ, फल और साबुत अनाज, आवश्यक विटामिनों की कमी, खासकर विटामिन ए की कमी, मिलिया के उत्पन्न होने से जुड़ी हुई है। विटामिन ए से समृद्ध आहारों जैसे गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर, रतालू आदि का सेवन बढ़ाएँ। शक्कर और उससे बने उत्पादों, तले और मसालेदार आहारों, कैफीन युक्त और कार्बन युक्त पेय, नमकीन आहार (चिप्स, फ्रेंच फ्राइज) चॉकलेट्स का सीमित सेवन करें।
मिलिया रोकथाम – हानिकारक रसायनों का अपनी त्वचा पर उपयोग बंद करें और सूर्य के प्रकाश में कम रहें या बाहर जाते समय सूर्य के प्रकाश की चपेट को घटाने के लिए एसपीएफ़ 15 वाले सनस्क्रीन का प्रयोग करें।.
एक्ने वल्गेरिस – रोकथाम – अपनी त्वचा को धोएं और उसकी देखभाल करें, नियमित व्यायाम करें, अधिक मात्रा में, 8-10 गिलास, पानी प्रतिदिन पीयें.
एक्ने/मुहांसे तैलीय ग्रंथी के स्राव का त्वचा में जमाव है, आमतौर पर चेहरे और गर्दन पर.
एक्ने वल्गेरिस – लक्षण – त्वचा पर घाव का निशान, सफ़ेद या पीले दबाये जा सकने वाले निशान, बड़ी लाल गांठें. एक्ने वल्गेरिस – कारण – हारमोंस में परिवर्तन, अनुवांशिकी, तनाव.
एक्ने वल्गेरिस – आहार – लेने योग्य आहार: त्वचा सबसे बड़ा अंग है. तरल पदार्थ अधिक लें और जल का स्तर कायम रखें, प्रतिदिन कम से कम 8-10 कप पानी पीयें, ताजे फल और सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें,