उच्च रक्तचाप एक ऐसी सामान्य समस्या है, जिसके लक्षण बहुत कम से न के बराबर हैं, जिसका मतलब है कि बहुत से लोग जिन्हें उच्च रक्तचाप की समस्या है, यह भी नहीं जानते कि वे इस बीमारी से ग्रसित हैं। उच्च रक्तचाप से दिल की बीमारी, दिल के दौरे और स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम का भी एक महत्वपूर्ण संकेत मिलता
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गुर्दे की पथरी – रोकथाम – 8 से 10 गिलास पानी पियें, पशुजन्य प्रोटीन, अधिक नमक का सेवन और पथरीकारक आहार ना लें। डॉक्टर से गुर्दे की पथरी के बारे में उचित जानकारी प्राप्त करें।.
गुर्दे की पथरी – आहार – लेने योग्य आहार: तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें विशेषकर पानी।
, नीबू का शरबत
, रेशे से समृद्ध आहार
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गुर्दे की पथरी – लक्षण – पीठ, पेट और जांघ में तीव्र दर्द। दर्द्युक्त मूत्रत्याग। मूत्र में रक्त होना। मतली और उल्टी। दुर्गन्ध और झाग युक्त मूत्र।. गुर्दे की पथरी – कारण – मूत्र में लवण (नमक अथवा साल्ट) और खनिजों के सामान्य संतुलन में बदलाव। शऱीर में पानी की कमी, दवाएँ और रोग, अनुवांशिकता.
मूत्र में कई अपशिष्ट रसायन घुले होते हैं। ये रसायन कभी-कभी मूत्र में बारीक कण बना लेते हैं जो आपस में इकठ्ठा होकर छोटे पत्थरनुमा रचना में बदल जाते हैं।.
हीमेचुरिया अर्थात मूत्र में रक्त की उपस्थिति।.
हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – लक्षण – कुछ रोगी पूरी तरह से लक्षणों से मुक्त होते हैं। इससे जुड़े कुछ लक्षण हो सकते हैं: पीठ के निचले हिस्से में दर्द (अक्सर यह गुर्दे में अवरोध बताता है जो कि पथरी या रक्त के थक्के द्वारा हो सकता है)। मूत्राशय का मंद संक्रमण: मूत्रत्याग के समय जलन, बार-बार मूत्रत्याग की इच्छा, झागयुक्त या बदबूदार मूत्र। गुर्दे में अधिक गंभीर संक्रमण: तेज बुखार, कंपकंपी और ठिठुरन, पीठ के निचले हिस्से में दर्द।. हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – कारण – मूत्राशय की गठान/मूत्राशय का संक्रमण। मूत्राशय (चित्र में दिखाए अनुसार), गुर्दे या पौरुष ग्रंथि का कैंसर। गुर्दे या मूत्राशय में पथरी की उपस्थिति। गुर्दों की सूजन (नेफ्रैटिस).
हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – आहार – लेने योग्य आहार: अपने फल और सब्जियों के सेवन को बढ़ाएं। क्रैनबेरी या अनार का रस लेना हीमेचुरिया से ठीक होने में सहायता करता है। करेला, सहजन और कच्चे केले का सेवन अधिक करें ये सभी हीमेचुरिया से तेजी से ठीक होने में सहायता करते हैं।
हीमेचुरिया (मूत्र में रक्त) – रोकथाम – शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखें। प्रतिदिन लगभग आठ गिलास तरल पदार्थ लें (गर्मी के मौसम में और अधिक लें)। सिगरेट पीना बंद करें, यह मूत्र मार्ग के कैंसर से जुड़ी हुई होती है। रसायनों की चपेट में आने से बचें।.