यह बाहरी कान और कान की नली की सूजन है। इससे स्विमर्स इयर (तैराक का कान) या बाहरी कान की सूजन भी कहते हैं। यह दीर्घ (क्रोनिक), तीव्र (एक्यूट) या स्थानिक (लोकलाइस्ड) हो सकता है। <.
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ओटाइटिस एक्स्टर्ना (बाहरी कान की सूजन): लक्षण और कारण
ओटाइटिस एक्स्टर्ना (बाहरी कान की सूजन) – लक्षण – कान में दर्द, कान में दबाव या भरेपन का एहसास। कान में सूजन अथवा लालिमा। श्रवण शक्ति में कमी। कान की नली के अन्दर और आस-पास खुजली और उत्तेजना।. ओटाइटिस एक्स्टर्ना (बाहरी कान की सूजन) – कारण – वायरस, बैक्टीरिया या फफूंद द्वारा उत्पन्न संक्रमण।.
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द) – आहार – लेने योग्य आहार: स्तन दुग्ध, विटामिन ए, विटामिन सी,
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द): रोकथाम और जटिलताएं
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द) – रोकथाम – न्यूमोकोकल और इन्फ्लुएंजा का टीका लगवाएँ।.
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द): प्रमुख जानकारी और निदान
ओटिटिस मीडिया कान के मध्य हिस्से का संक्रमण है, जो बच्चों में आम है।.
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द): लक्षण और कारण
बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द) – लक्षण – बुखार, कान दर्द, कान के मध्य हिस्से में तरल या पीप। सुनने की हानि।. बच्चों का ओटिटिस मीडिया (कानदर्द) – कारण – बैक्टीरिया या वायरस द्वारा उत्पन्न संक्रमण (सर्दी, फ्लू या एलर्जी)।.
ओटेल्जिया: रोकथाम और जटिलताएं
ओटेल्जिया रोकथाम – धूम्रपान ना करें। कानों को स्वच्छ और सूखा रखें।.
ओटेल्जिया: प्रमुख जानकारी और निदान
ओटेल्जिया कान के दर्द को कहते हैं। सामान्य तौर पर इसे कान दर्द कहा जाता है।.
ओटेल्जिया: लक्षण और कारण
ओटेल्जिया लक्षण – तीव्र कान दर्द वाले व्यक्ति को कान बहना, कान भरा लगना, नाक अवरुद्ध होना, बुखार या सिरदर्द आदि हो सकते हैं।. ओटेल्जिया कारण – जबड़े का आर्थराइटिस। दांत का संक्रमण। गले में पीड़ा। साइनस का संक्रमण।.
ओटेल्जिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
ओटेल्जिया आहार – ग्रहण किया गया विटामिन सी शरीर के प्रतिरक्षक तंत्र को उन्नत करने वाला अत्यंत बढ़िया पूरक है और इस प्रकार कान के दर्द को रोकता है। विटामिन सी के प्राकृतिक स्रोतों में अमरुद, नीबू, शिमला मिर्च, संतरे और टमाटर हैं।
, जिंक भी कान के दर्द का प्रभावी उपचार है। इसे भी प्राकृतिक स्रोतों जैसे काजू, गेहूँ, चिलगोजा, अन्य सूखे मेवों से ग्रहण करना चाहिए।
, रिफाइंड और प्रोसेस्ड आहार, मसालेदार या वसायुक्त आहार।
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