धूम्रपान लक्षण – पीली और अस्वस्थ त्वचा। दुर्गन्ध युक्त श्वास। खाँसी आना, छाती में दर्द, धैर्यहीनता, मुँह का स्वाद अम्लीय होना।. धूम्रपान कारण – धूम्रपान का कोई कारण नहीं होता यह केवल एक लत है। इसके कुछ उत्प्रेरकों में शराब और तनाव भी आते हैं।.
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ब्रोंकाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं
ब्रोंकाइटिस रोकथाम – फ्लू और निमोनिया के टीके लगवाएं। तम्बाकू का धुंआ और अन्य धुल भरे कण। अपने आस पास का वातावरण कीटाणुमुक्त रखें।.
ब्रोंकाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान
ब्रोंकाइटिस साँस की बीमारी है जो ब्रोन्कियल नलिकाओं (ब्रांकाई), जो कि नाक और फेफड़ों के बीच का हवा के लिए स्थान है, की परतों की सूजन द्वारा प्रकट होता है।.
ब्रोंकाइटिस: लक्षण और कारण
ब्रोंकाइटिस लक्षण – पीलापन लिए हरे बलगम के साथ खांसी, सांस लेने में कठिनाई, व्हीज़िंग, बुखार और कंपकंपी, छाती में बेचैनी. ब्रोंकाइटिस कारण – तम्बाकू का संपर्क, वायरस और बैक्टीरिया, प्रदूषकों और सॉल्वैंट्स की चपेट.
ब्रोंकाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
ब्रोंकाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: तरल पदार्थ, हर्बल टी, और सूप अधिक मात्रा में पीयें। बगैर मीठा किया नीबू पानी ब्रोंकाइटिस के इलाज के लिए लाभकारी होता है। ब्रोंकाइटिस पीड़ितों के लिए स्ट्रॉबेरी बहुत अच्छी होती हैं।
दमा: रोकथाम और जटिलताएं
दमा रोकथाम – धूम्रपान त्यागें, वायु प्रदूषण, धूल और उत्प्रेरक धुएं से बचें, इन्हेलर्स का प्रयोग करें, घर को स्वच्छ और धूल से मुक्त रखें.
दमा: लक्षण और कारण
दमा लक्षण – खांसी, व्हीज़िंग, साँस लेने में कठिनाई, अत्यंत थकान का अनुभव, सोने में कठिनाई. दमा कारण – एलर्जन जैसेकि वृक्षों के परागकण, धूल के कण, श्वसन संक्रमण, मोटापा और शारीरिक गतिविधि.
दमा: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
दमा आहार – लेने योग्य आहार ना लेने योग्य आहार: फल और सब्जियां अधिक मात्रा में खाएं, ओमेगा-3 फेटी एसिड्स युक्त आहार लें जो कि सैलमन, ट्यूना और सारडाइन मछलियों में पाया जाता है और कुछ वनस्पति स्रोत जैसे कि अलसी जिनमें स्वास्थ्य के लिए कई लाभकारी तत्व माने जाते हैं. अस्थमा के रोगियों के लिए कहे गए सबसे लाभकारी आहारों में: एवोकेडो, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल, ब्रोकोली स्प्राउट, शकरकंद, अदरक, हल्दी, लहसुन, प्याज़, सेब, मेवे, टमाटर आदि हैं,
दमा: प्रमुख जानकारी और निदान
अस्थमा क्रोनिक (लम्बे समय तक रहने वाली) फेफड़ों की बीमारी है, जिसके कारण फेफड़ों में और फेफड़ों से हवा ले जाने वाली नलिकाओं में सूजन और सिकुडन हो जाती है..