लेरिन्जाइटिस लक्षण – डिस्फोनिया (भारी आवाज) या एफोनिया (बोल ना पाना)। शुष्क, पीड़ा, जलनयुक्त गला। खाँसी होना। डिस्फेजिया (निगलने में कठिनाई)।. लेरिन्जाइटिस कारण – एसिड का आहारनली में वापस लौटना। एलर्जी, अत्यधिक खाँसी, धूम्रपान या शराब का सेवन।.
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लेरिन्जाइटिस: प्रमुख जानकारी और निदान
लेरिन्जाइटिस लेरिंक्स (कंठ-ध्वनियंत्र) की सूजन को कहते हैं।.
स्वाइन फ्लू: रोकथाम और जटिलताएं
स्वाइन फ्लू – रोकथाम – साबुन और पानी से अपने हाथ नियमित धोएँ। नियमित रूप से स्वच्छता किये जाने को निश्चित करें। खांसते और छींकते समय मुँह और नाक को ढंकें।.
स्वाइन फ्लू: प्रमुख जानकारी और निदान
स्वाइन फ्लू कई प्रकार के स्वाइन इन्फ्लुएंजा वायरस में से किसी एक द्वारा उत्पन्न संक्रमण है। इसे पिग इन्फ्लुएंजा, स्वाइन फ्लू, हॉग फ्लू, और पिग फ्लू भी कहते हैं।.
स्वाइन फ्लू: लक्षण और कारण
स्वाइन फ्लू – लक्षण – बुखार, कंपकंपी, गले में खराश, खाँसी. स्वाइन फ्लू – कारण – संक्रमण के चिन्ह और लक्षण उत्पन्न करने के लिए स्वाइन फ्लू का वायरस जिम्मेदार होता है।.
स्वाइन फ्लू: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
स्वाइन फ्लू – आहार – लेने योग्य आहार: ताजे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज। विटामिन डी3 के पूरक। ढेर सारा पानी पियें।
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट): प्रमुख जानकारी और निदान
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें ह्रदय शरीर की आवश्यकता के अनुसार रक्त पंप नहीं कर पाता।.
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट): लक्षण और कारण
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट) – लक्षण – पैरों और पंजों में सूजन। थकावट या कमजोरी। भूख में कमी। तेज अथवा अनियमित हृदयगति।. कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट) – कारण – कोरोनरी आर्टरी डिजीज। पहले हुआ हृदयाघात। उच्च रक्तचाप। कार्डियोमायोपेथी।.
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट) – आहार – लेने योग्य आहार: ताजे और प्रशीतन युक्त फल व सब्जियाँ (केला, स्ट्रॉबेरी, आलू, टमाटर, पालक, एवोकेडो, सूखे फल, संतरा और अन्य खट्टे फल)। रेशे से समृद्ध आहार (साबुत अनाज, फल और सब्जियाँ)। ताजा माँस, पोल्ट्री आहार, मछली (बिना नमक या कम नमक से बनी हुई)।
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट): रोकथाम और जटिलताएं
कंजेस्टिव हार्ट डिजीज (दिल में रुकावट) – रोकथाम – धूम्रपान त्यागें। रक्तचाप कम करें। वजन घटाएँ। स्वस्थ आहार लें। अपने आहार में नमक का प्रयोग नियंत्रित करें।.