केरेटोकंजंक्टिवाइटिस सिक्का (केसीएस) ऐसी स्थिति है जिसमें आँखों की सतह पर उपस्थित झिल्लियाँ, जिन्हें कंजंक्टिवा भी कहते हैं, आँखों को चिकना रखने व पोषण देने हेतु आवश्यक अश्रुओं की कम मात्रा के चलते लाल हो जाती हैं और उनपर सूजन आ जाती है।.
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केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: लक्षण और कारण
केरेटोकंजंक्टिवाइटिस लक्षण – आँख में जलन, खुजली या बाहरी वस्तु के होने का एहसास। प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता। कंजंक्टिवा का लाल या उत्तेजित होना।. केरेटोकंजंक्टिवाइटिस कारण – आयु, लिंग – हार्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों के कारण महिलाओं में नेत्र शुष्क होने की समस्या उत्पन्न होने की संभावना अधिक होती है। औषधियां जैसे एलर्जीरोधक, नाक में अवरोध रोकने वाली, रक्तचाप सम्बन्धी और अवसादरोधी आदि।.
केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
केरेटोकंजंक्टिवाइटिस आहार – लेने योग्य आहार: ड्राई आई सिंड्रोम अक्सर केवल पानी का अधिक मात्रा में सेवन करने से सुधर जाता है। आवश्यक वसीय अम्ल के पोषक तत्व अश्रु झिल्ली की जलीय और तैलीय दोनों प्रकार की तरल परत के उत्पादन हेतु उत्तरदायी होते हैं। आवश्यक वसीय अम्लों के उत्तम भोज्य स्रोतों में मछली का तेल और ठन्डे जल की मछली जैसे सैलमन, हेलिबट, सारडाइन और ट्यूना आते हैं। अन्य बढ़िया स्रोतों में हैं अलसी के बीज और उनका तेल। एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध फल और सब्जियाँ लें जैसे स्ट्रॉबेरी, रास्पबेरी, क्रेनबेरी, अमरुद, पपीता और संतरे, सब्जियाँ: सब्जियों में गाजर, टमाटर, ब्रोकोली, शिमला मिर्च, फलियाँ, अर्टिचोक, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियाँ आदि सभी एंटीऑक्सीडेंट के बढ़िया स्रोत हैं।
केरेटोकंजंक्टिवाइटिस: रोकथाम और जटिलताएं
केरेटोकंजंक्टिवाइटिस रोकथाम – अत्यधिक सूखे वातावरण में ना रहें। धूल और धुएँ से भरे क्षेत्रों में ना जाएँ। लम्बे समय तक देख कर किये जाने वाले कार्य ना करें। शरीर में जल की कमी ना होने दें, पानी का सेवन अधिक मात्रा में करें।.