चिकनपॉक्स (छोटी माता) – रोकथाम – टीका लगवाएँ, संक्रमित व्यक्तियों से दूर रहें। खुजाएँ या रगड़ें नहीं। रोग निर्धारण और चिकित्सा में शीघ्रता।.
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चिकनपॉक्स (छोटी माता): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
चिकनपॉक्स (छोटी माता) – आहार – लेने योग्य आहार चूंकि भूख का न लगना चेचक की एक सामान्य लक्षण है, इससे आम तौर पर निर्जलीकरण भी हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए, और कुछ आवश्यक पोषक तत्वों को लेने के लिए, सुनिश्चित करें कि मरीज को प्रतिरक्षा को मज़बूत करने वाला ढेर सारा रस उसके शरीर को मिल रहा हो। निश्चित रूप से, जब आप को चेचक हो तो फलों का सेवन बढा दें। जैसा कि बताया गया है, आपके शरीर को इस बीमारी से उभरने के लिए विषाणु से लड़ना और उसे मरना परता है! ये आपका कर्त्तव्य है की आप शरीर को पौष्टिक भोजन जैसे अंगूर, केले, सेब, खरबूजे आदि जैसे नरम फलों से पूरक करें। आप के मुँह और गले में फफोले हो सकते हैं जिससे अनार या नारंजी का सेवन दुःख दायक हो सकता हैं। इन फलों का मिल्कशेक या जूस बना लें और हर थोड़े थोड़े समय पे पीते रहें। पूरे दिन दही की अच्छी मात्रा लें। न केवल दही कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स प्रदान करता है, यह त्वचा की अच्छी तरह से उपचार करने में भी मदद करता है। सुबह सबसे पहले एक गिलास नर्म नारियल पानी पिये। यह भी महत्त्वपूर्ण विटामिन और खनिजों से भरा होता है, शून्य कैलोरी होने की वजह से ये शरीर को डंडा और प्रतीक्षा प्रणाली को मज़बूत बनता है। दोपहर और रात्रिभोज दोनों के साथ एक कप दाल लें। टमाटर और नमक के साथ कुछ तूर या मूंग दाल को उबालें। अगर आप चाहें तो एक चुटकी हल्दी भी डाल सकते हैं। ताजी धनिया के पत्तों के साथ गार्निश करें और सूप की तरह लें। संतरे और अन्य खट्टे फल प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए उत्कृष्ट हैं। रोज़ एक गिलास ओरेंज जूस स्वास्थ्य के लिए उचित माना जाता है। एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि आपको जूस में मिलाय जाने वाले योजक (एडिटिव्स) से दूर रहना चाहिए। प्राकृतिक फल और सब्जी का रस इस समय आपके लिए सबसे अच्छा है। ताजी सब्जियां और कच्चे फल लेना उचित है। तुलसी और कैमोमाइल जैसे हर्बल चाय भी इसमें मदद करती है। अन्य खाद्य पदार्थ जैसे गाजर, काजू, टोफू, अखरोट, अंडे, अदरक, लहसुन, चुकंदर और ब्लू बेरी भी इस में मददगार होते हैं। कच्चे फल और सब्ज़ी की सेवन करने की सलाह दी जाती है। बहुत पानी वाले आहार का सेवन करने की सलाह भी दी जाती है क्योंकि शरीर इस तरह के आहार को आसानी से पचाने और उनमें पोषक तत्वों को आसानी से संसाधित कर देता है। ककड़ी, टमाटर, पालक तरबूज, कीवी, अंकुरित आहार, और पानी समृद्ध पदार्थ की श्रेणी में आते हैं। इनसे परहेज करे चेचक में डेयरी उत्पाद, मांस, रोटी या किसी अन्य प्रकार के भारी भोजन – जो पचाने में मुश्किल होते हैं – से परहेज़ करना चाहिए। प्रसंस्कृत (रिफाइंड) और जंक फूड से दूर रहें। शरीर को देने लायक उनमें कम या कोई पौष्टिक पदार्थ नहीं होते। रेड मांस और तले हुए भोजन या अन्य इसी तरह तैयार किए गए खाद्य पदार्थों से भी बचना चाहिए। अपने भोजन में सख्ती से किसी तेल या मसाले का प्रयोग न करें। न ही स्वाद के लिए थोड़ा भी लाल मिर्च पाउडर का प्रयोग करें ये आपके मुंह और गले के फफोले को जला और खुजली उत्पन्न का सकता हैं। चेचक में पाचन तंत्र आम तौर पर धीमा होता है और आपको चेचक के पहले कुछ दिनों में कुछ भी खाने का मन नहीं कर सकता है। इसलिए जी मिचलाना और उलटी से बचने के लिए तेल का इस्तेमाल न करें साथ ही सामान्य वसा-मुक्त खाद्य पदार्थों को पचाना भी आसान होता है और कोई अम्लता संबंधित समस्याएँ नहीं होती। चेचक के दौरान मांस और अंडे से बचना अच्छा होता है। वे प्राकृतिक रूप से फैटी होते हैं और शरीर उन्हें आसानी से पचा भी नहीं पता। अतिरिक्त शक्कर वाले खाद्य पदार्थों से बचे, या अधिक काबोर्हाइड्रेट वाले भोजन जैसे रोटी, पास्ता, कच्चा बादाम और बीज, क्योंकि ये इलाज को धीमा कर देता है। संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थ सूजन पैदा कर सकते हैं, जो खीजे हुए क्षेत्र को ठीक होने में विलम्बित कर सकते हैं।
चिकनपॉक्स (छोटी माता): लक्षण और कारण
चिकनपॉक्स (छोटी माता) – लक्षण – बुखार, दर्द और सिरदर्द। भूख ना लगना। खाँसी और गले में खराश।. चिकनपॉक्स (छोटी माता) – कारण – सामान्यतया ये एक वायरस, जिसे वेरिसेला ज़ोस्टर वायरस कहते हैं, के द्वारा होता है।.
चिकनपॉक्स (छोटी माता): प्रमुख जानकारी और निदान
चिकनपॉक्स (छोटी माता, छोटी चेचक) वायरस द्वारा उत्पन्न संक्रमण है जिससे खुजली युक्त, छाले अथवा फफोले हो जाते हैं. ये बड़ी आसानी से एक व्यक्ति से उन दूसरे व्यक्तियों में फ़ैल जाता है, जिन्हें यह बीमारी नहीं हुई हो या इसका टीका नहीं लगा हो..
बच्चों में अर्टिकेरिया: लक्षण और कारण
बच्चों में अर्टिकेरिया – लक्षण – केंद्र में पीले रंग के साथ उभरे हुए गुलाबी धब्बे। त्वचा पर लाल, उभरे हुए, खुजलीयुक्त निशान। जलन का एहसास. बच्चों में अर्टिकेरिया – कारण – आमतौर पर पित्ती एलर्जी की प्रतिक्रिया से होती है।.
बच्चों में अर्टिकेरिया: घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
बच्चों में अर्टिकेरिया – आहार – ताजे फल और सब्जियाँ। मछली, अंडे, छाछ, प्रोसेस्ड माँस, चॉकलेट, मूंगफली, खट्टे फल, स्ट्रॉबेरी, कृत्रिम खाद्य रंग।
बच्चों में अर्टिकेरिया: रोकथाम और जटिलताएं
बच्चों में अर्टिकेरिया – रोकथाम – त्वचा की प्रतिक्रिया को उत्प्रेरित करने वाले पदार्थ की पहचान करके और उससे दूर रहकर पित्ती को रोकें।.
बच्चों में अर्टिकेरिया: प्रमुख जानकारी और निदान
अर्टिकेरिया को सामान्य रूप से पित्ती कहा जाता है जो त्वचा पर लाल उभरे हुए निशानों (केंद्र में पीले रंग के साथ गुलाबी धब्बे) या कोड़े की चोट जैसे निशानों को कहते हैं।.
लेप्टोस्पायरोसिस (खेत का बुखार): घरेलु उपचार, इलाज़ और परहेज
लेप्टोस्पायरोसिस (खेत का बुखार) – आहार – लेने योग्य आहार इनसे परहेज करें: ताजा और उबला पानी
, पूर्ण आहार (बिना पोलिश के अनाज, फल, सब्जियाँ)।
, दूध और इसके उत्पाद
,
लेप्टोस्पायरोसिस (खेत का बुखार): रोकथाम और जटिलताएं
लेप्टोस्पायरोसिस (खेत का बुखार) – रोकथाम – स्वच्छ रहें, जमे हुए पानी के क्षेत्र में ना जाएँ। एंटीबायोटिक्स का प्रयोग करें। रोग का जल्द निर्धारण और चिकित्सा।.